Rolls-Royce की सभी कारों टक्कर दे रहा है। जानिए ऐसी ही 10 रोचक बातें

Ashish Nishad
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Rolls-Royce
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Rolls-Royce कंपनी 80 से अधिक वर्षों से भारत में मौजूद है।रोल्स रॉयस कार की प्राइस रेंज 6.95 करोड़ रुपये से 10.48 करोड़ रुपये के बीच है। टॉप 3 रोल्स-रॉयस कार की कीमत…

  1. पहली कारः रोल्स रॉयस की स्थापना 1904 में Charles Rolls और Henry Royce ने की थी। दोनों ने मिलकर कंपनी की पहली कार को बनाया था, जिसे रोल्स रॉयस 10 HP कहा गया। इसके अलावा, कंपनी का नाम भी दोनों के सरनेम से लिया गया है। रोल्स रॉयस कारों के अलावा वे जेट इंजन भी बनाते थे।
  2. जर्मनी में ही होता है हर फैंटम का जन्मः दुनिया में आपको जितनी भी रोल्स रॉयस फैंटम दिखती हैं वो सभी जर्मनी में ही बनती हैं। क्योंकि इसमें तकरीबन 200 एल्यूमिनियम सेक्शन और 300 एलॉय पार्टस को जर्मनी में कारिगरों द्वारा वेल्ड किया जाता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि एक फैंटम कार को बानने के लिए 2 महीने का समय लगता है।
  3. एक आदती करता है पेंट: आपने एक रोचक तथ्य साझा किया है! फैंटम कार की पेंटिंग के दौरान कोच लाइन की पेंटिंग केवल एक व्यक्ति करता है, और Mark Courts इस जिम्मेदारी को अपने कंधों पर लेते हैं। यह एक अत्यधिक नैतिक और तकनीकी काम होता है, जिसमें गलती करने का कोई मौका नहीं होता है।
  4. कई कंपनी मिलकर बनाती थीं कारः रोल्स-रॉयस की गाड़ियों का इतिहास 1904 में इंग्लिश इंजीनियर हेनरी रॉयस द्वारा स्थापित इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल व्यापार, रॉयस लिमिटेड से विकसित हुआ था। पहली मोटर कार बनाने के बाद रॉयस ने चार्ल्स रोल्स से मिलकर गाड़ियों की बिक्री करने वाली कंपनी CS Rolls & Co की गुणवत्ता वाली कारों को बेचने वाले थे। विकर्स ने 1980 में कंपनी को खरीदा और 1998 में वोल्क्सवैगन को बेच दिया। वर्तमान में रॉल्स-रॉयस ब्रांड की गाड़ियों का निर्माण बीएमडब्ल्यू ग्रुप की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी Rolls-Royce Motor Cars Ltd कर रही है, जिसका इतिहास 1903 में गाड़ियों का निर्माण शुरू हुआ था। इसका कारख़ाना इंग्लैंड के वेस्ट ससेक्स में हिस्टोरिक गुडवुड सर्किट के सामने स्थित है।
  5. रोल्स रॉयस हुआ दिवालियाः रोल्स रॉयस की स्थापना सन 1904 में चार्ल्स रोल्स और हेनरी रॉयस ने की थी। इस कंपनी का नाम इन्ही दोनों के सरनेम से लिया गया है। रोल्स रॉयस की कारों के अलांवा जेट इंजन भी बनाता था। यह कंपनी लग्जरी और शाही कारों के लिए विख्यात है, और इसके इतिहास में कई रोचक तथ्य हैं। आपके द्वारा बताए गए विवरण के अनुसार, सन 1971 में जेट इंजन के साथ शुरुआती समस्याओं के कारण कंपनी दिवालिया घोषित हो गई थी, लेकिन इसके बाद सन 1973 में एक अलग इकाई के रूप में मोटर कार व्यवसाय में कंपनी ने कदम रखा1. रोल्स रॉयस की विशेषता में एक अन्य रोचक बात यह है कि उनकी कारों को पेंट करने की जिम्मेदारी केवल एक व्यक्ति को होती है, जो कोच लाइन की पेंटिंग करता है1. इसके अलावा, रोल्स रॉयस की कारों के बोनट पर उड़ते हुए इंसान का लोगो ‘Spirit of Ecstasy’ कहलाता है, जिसे सन 1911 में कमीशन किया गया था1. यह लोगो आजकल रिमोट के माध्यम से ग्रील के अंदर भी छुपा सकता है और यदि कोई दुर्घटना होती है, तो यह अपने आप ही फ्रंट ग्रिल के अंदर चला जाता है। रोल्स रॉयस की यह अनूठी और शानदार कारें आज भी लग्जरी और शाही अनुभव के प्रतीक के रूप में मानी जाती हैं।
  6. स्प्रीट ऑफ एक्स्टसीः आपको रोल्स रॉयस के बोनट पर जो उड़ते हुए इंसान का लोगो दिखता है उसे ही ‘Spirit of Ecstasy’ कहा जाता है। इसे सन 1911 में कमीशन किया गया था। आज के समय में तो ये लोगो प्रयोग किया जाता है उसे रिमोट के माध्यम से ग्रील के अंदर किया जा सकता है। इतना ही नहीं किसी भी दुर्घटना के समय ये लोगो अपने आप ही फ्रंट ग्रिल के अंदर चला जाता है। ऐसा कंपनी इस लोगो के सम्मान में करती है।
  7. बीएमडब्ल्यू और फॉक्सवैगन की जंगः बीएमडब्ल्यू और फॉक्सवैगन ने रोल्स रॉयस के नाम और लोगो के अधिकार के लिए एक दूसरे के साथ टकराया था। 1998 में बीएमडब्ल्यू ने इस कंपनी के लिए 340 मिलियन पौंड की बोली लगाई थी, जबकि फॉक्सवैगन ने 430 मिलियन पौंड की बोली लगाई थी। इसके बाद, बीएमडब्ल्यू को रोल्स रॉयस के नाम और लोगो का अधिकार मिला, जबकि फॉक्सवैगन को मस्कट और ग्रिल के अधिकार मिले। इसके बाद, सन 2003 से इन दोनों कंपनियों ने एक समझौता किया, जिसके बाद बीएमडब्ल्यू को Rolls-Royce की पूरी कार को प्रोड्यूस करने की अनुमति मिली। आज, इस कार के निर्माण का पूरा अधिकार बीएमडब्ल्यू के पास सुरक्षित है।
  8. रोल्स रॉयस फैंटमः बीएमडब्ल्यू द्वारा बनाई गई थी, एक लक्ज़री सेडान है जिसका प्रथम वर्शन 2003 में लॉन्च हुआ था। इसमें 44,000 से ज्यादा कंपोनेंट्स का प्रयोग किया जाता है, और यह जर्मनी में निर्मित होती है। फैंटम की वर्तमान पीढ़ी जो कि 2017 में लॉन्च हुई, उसमें बीएमडब्ल्यू के स्वामित्व के तहत आई है। इसकी वास्तविक कीमत ग्राहक की मांग पर निर्भर करती है और एक्स-शोरूम कीमत 9.5 करोड़ रुपये से 11.35 करोड़ रुपये के बीच होती है। यह एक व्यावासिक और शानदार गाड़ी है जिसमें विभिन्न लक्ज़री फीचर्स और विस्तारित व्हीलबेस शामिल हैं।
  9. आज भी है सड़कों की शानः रोल्स-रॉयस मोटर कार्स वास्तविक असाधारणता की एक अविनाशी अभिव्यक्ति हैं। दुनिया की शीर्ष मोटर कार, फैंटम, से लेकर ब्लैक बैज की बोल्ड दृष्टिकोण और उसके पार तक। रोल्स-रॉयस की दुनिया की खोज करें। अगर आप और अधिक विस्तृत जानकारी चाहते हैं, तो आप ऑटोकार की वेबसाइट पर रोल्स-रॉयस की सभी वर्तमान मौजूदा कारों की विस्तृत समीक्षाएँ पढ़ सकते हैं। अगर आप इलेक्ट्रिक कारों के बारे में जानना चाहते हैं, तो रोल्स-रॉयस स्पेक्टर एक अत्यधिक प्रभावशाली इलेक्ट्रिक कार है, जिसे आप बिना किसी समझौते या झलक के बिना चला सकते हैं।
  10. हैंडमेडः आपका उल्लेख रोल्स-रॉयस की हाथ से बनी कारों के बारे में सही है! यहां तक कि आप जिस भी रोल्स-रॉयस कार को खरीदें, चाहे आप उसे अपनी खुद की डिज़ाइन के अनुसार बनवाएं या फिर शोरूम से खरीदें, आप यकीन कर सकते हैं कि आपकी कार को हाथों से तैयार किया गया है। हर एक रोल्स-रॉयस मोटर कार को शुरुआत से ही बनाया जाता है, और यह उनके नवाचारी डिज़ाइन और उनकी अत्यधिक ध्यान से बनाए जाने की वजह से सड़क पर किसी भी अन्य वाहन से अलग हैं। रोल्स-रॉयस की कारों के इंजन भी विशेष रूप से बनाए जाते हैं। इनके इंजन को तैयार करने के लिए भूमि से ही शुरुआत की जाती है, और यह इंजन उच्च गति के लिए बनाया जाता है। इसके अलावा, इनके इंजन को बनाने में लगभग 60 कुशल इंजीनियर और तकनीशियन काम करते हैं। इनके इंजन को बनाने में लगभग छह महीने तक का समय लग सकता है। इनके इंजन को बनाने के लिए उनके डिज़ाइनर और इंजीनियर आपकी विचारों को जीवंत करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। यहां तक कि इनके इंजन को बनाने में एकमात्र चीज़ जो हाथ से नहीं की जाती, वो है पेंटवर्क! पेंटवर्क के लिए कंप्यूटर उपयुक्त होते हैं, क्योंकि वे उल्ट्रा-स्मूथ फिनिश प्रदान कर सकते है।
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